
Pradosh Vrat 2025 : प्रदोस व्रत की पुजा विधि और कथाएं...
Pradosh Vrat 2025 : आज प्रदोस व्रत 09 फरवरी 2025 को किया जा रहा हैं इस अवसर पर लोग शिव जी पूजा करते है और उनकी आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और पूरी विधि से पुजा करने से फल की प्राप्ति होती हैं ।
प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदसी तिथि को महादेव के भक्त और भक्ति से प्रदोस व्रत रखते हैं भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती हैं मान्यता हैं की विधिपूर्वक आरती की जाये तो शिव जी प्रसन्न होते है और जीवन में सुख की प्राप्ति और सफलता, व्यापर में विद्धि का आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं ।
व्रत और संकल्प
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
दिनभर उपवास
व्रत के दौरान फलाहार करें या केवल जल ग्रहण करें।
सात्विक आहार का पालन करें और तामसिक भोजन से बचें।
संध्याकालीन पूजा विधि
सूर्यास्त से एक घंटा पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घर या मंदिर में शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद और पंचामृत से अभिषेक करें।
बेलपत्र, धतूरा, अक्षत (चावल), सफेद फूल और भस्म अर्पित करें।
धूप-दीप जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।
कथा और हवन
प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करें या स्वयं पढ़ें।
हवन कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।
आरती और प्रसाद वितरण
शिव जी की आरती करें और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।
गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें।
व्रत का पारण
अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
भगवान शिव का ध्यान करते हुए सात्विक भोजन करें।
रवि प्रदोष व्रत कथा
प्राचीन समय में एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहा करते थे। ब्राह्मणी श्रद्धा से प्रदोष व्रत रखा करती थी। उनका एक पुत्र था, जिसे एक दिन गंगा स्नान जाते समय चोरों ने पकड़ लिया चोरों ने उसके पिता के गुप्त धन के बारे में पूछा, तो बालक ने बताया कि वे बहुत गरीब हैं। उसकी पोटली में केवल रोटी हैं, जिसे सुनकर चोरों ने उसे छोड़ दिया।
बालक चलते-चलते एक नगर पहुंचे और बरगद के पेड़ के नीचे सो गया। सिपाहियों ने उसे चोर समझकर राजा के सामने पेश किया, जिसने उसे कारावास में डालने का आदेश दे दिया। इधर, पुत्र के न लौटने से माता-पिता चिंतित हो गये।
अगले दिन ब्राह्मणी ने श्रद्धा से प्रदोष व्रत रखा और भगवान शिव से पुत्र की रक्षा की प्रार्थना की। शिवजी ने राजा को स्वप्न में आकर बालक को मुक्त करने का आदेश दिया, अन्यथा राज्य के विनाश की चेतावनी दी।
सुबह राजा ने बालक को छोड़ दिया और सच्चाई जानने के बाद ब्राह्मण को पांच गांव दान में दिया। भगवान शिव की कृपा से उसकी गरीबी दूर हो गई और परिवार सुखपूर्वक रहने लगे। यही कारण है कि प्रदोष व्रत को शिव कृपा प्राप्ति और समृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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