
अब शाम को भी चलेगी अदालत, जानिए किन मामलों का होगा सुनवाई...
नई दिल्ली: जिला अदालतों में बढ़ते मामलों के बोझ को कम करने के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय ने एक अहम कदम उठाया है। सरकार 785 सायंकालीन अदालतें शुरू करने की योजना बना रही है, जो मौजूदा अदालत परिसरों में शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक संचालित होंगी। इन अदालतों में छोटे आपराधिक मामले, चेक बाउंस, संपत्ति विवाद और सार्वजनिक उपद्रव से जुड़े मामलों की सुनवाई होगी। शुरुआत में तीन साल तक की सजा वाले मामले सुने जाएंगे, बाद में यह सीमा छह साल तक बढ़ाई जा सकती है।
सायंकालीन अदालतों के लिए विशेष योजना
कानून मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक कॉन्सेप्ट नोट भेजा है, जिसमें इन अदालतों के संचालन का खाका तैयार किया गया है। इस योजना के तहत रिटायर्ड जिला जजों और कर्मचारियों को तीन साल के अनुबंध पर नियुक्त किया जाएगा। इन्हें अंतिम वेतन का 50% और महंगाई भत्ता मिलेगा। नियमित अदालतें दिन में काम करेंगी, जबकि शाम को उसी अदालत परिसर का उपयोग सायंकालीन अदालतों के लिए किया जाएगा। इन अदालतों में सीआरपीसी-1973 की धारा 260, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2024 की धारा 283 और निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत संक्षिप्त सुनवाई वाले मामलों की सुनवाई होगी।
न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने का प्रयास
सरकार का उद्देश्य छोटे मामलों का शीघ्र निपटारा कर लंबित मुकदमों की संख्या को कम करना है। इससे वादियों को त्वरित न्याय मिलेगा और न्यायपालिका में जनता का विश्वास बढ़ेगा। यह योजना गुजरात के 2006 के मॉडल से प्रेरित है, जहां सायंकालीन अदालतें सफलतापूर्वक चलाई गई थीं और 2014 में इसका विस्तार किया गया था।
लंबित मामलों का बढ़ता दबाव
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार, 21 फरवरी 2025 तक देशभर में 4.60 करोड़ मामले लंबित थे। इनमें 1.09 करोड़ सिविल और 3.51 करोड़ आपराधिक मामले शामिल हैं। इनमें से 44.55% मामले तीन साल से अधिक पुराने हैं। ओडिशा में मार्च 2025 तक 14,225 आपराधिक मामले लंबित थे। जजों की कमी लंबित मामलों का प्रमुख कारण है। सरकार को उम्मीद है कि सायंकालीन अदालतों के माध्यम से इस समस्या का समाधान किया जा सकेगा और न्याय प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।
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