
Nimisha Priya
Nimisha Priya: नई दिल्ली: यमन की राजधानी सना की जेल में पिछले कई वर्षों से बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की रिहाई की उम्मीदें अब हकीकत में बदलती नजर आ रही हैं। ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के संस्थापक और ईसाई धर्म प्रचारक डॉ. केए पॉल ने मंगलवार तड़के एक वीडियो संदेश जारी कर दावा किया कि निमिषा की मौत की सजा रद्द कर दी गई है और जल्द ही उन्हें भारत लाया जा सकता है।
डॉ. पॉल ने बताया कि यमन के नेताओं से बातचीत और बीते 10 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद यह सफलता मिली है। उन्होंने यमन सरकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने निमिषा की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक स्तर पर प्रयास शुरू किए हैं।
भारत सरकार की कोशिशें लाई रंग
विदेश मंत्रालय ने हाल ही में पुष्टि की थी कि सरकार निमिषा प्रिया को बचाने के लिए हरसंभव राजनयिक और कानूनी प्रयास कर रही है। मंत्रालय ने यमन में उनके परिवार की मदद के लिए एक वकील की नियुक्ति की थी, जो शरिया कानून के तहत माफी की प्रक्रिया में जुटा था।
इससे पहले केरल के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबुबकर अहमद ने यमन के धार्मिक नेताओं से बातचीत कर हस्तक्षेप किया था। उनकी अपील पर ही 16 जुलाई को निमिषा की फांसी पर अस्थायी रोक लगाई गई थी।
क्या है पूरा मामला?
निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं। साल 2008 में वे एक नर्स के रूप में यमन गई थीं। 2011 में शादी के बाद उन्होंने अपने पति टॉमी थॉमस और बेटी के साथ यमन में रहना शुरू किया। 2015 में उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लीनिक खोला।
2017 में महदी का शव वॉटर टैंक से बरामद हुआ और निमिषा पर आरोप लगा कि उन्होंने नींद की दवा की ओवरडोज देकर उसकी हत्या की। निमिषा के वकील का दावा है कि महदी ने उनका मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया था और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था, जिससे वे यमन छोड़ नहीं सकीं।
2020 में सना की एक अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसे 2023 में यमन के सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। लेकिन अब हालिया घटनाक्रम ने उनकी रिहाई की नई उम्मीद जगा दी है।
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