
Nag Panchami 2025 :
Nag Panchami 2025 : डेस्क न्यूज। सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला नागपंचमी का पर्व इस बार 29 जुलाई 2025 को विशेष शुभ संयोग में मनाया जाएगा। इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के साथ शिव और प्रजापति योग का संयोग बन रहा है, जो अत्यंत शुभ और फलदायी माना जा रहा है। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व है और इस बार पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 8.51 बजे से दोपहर 1.46 बजे तक रहेगा।
Nag Panchami 2025 : नागपंचमी का पौराणिक महत्व-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सर्पों की संख्या बढ़ने से वे मनुष्यों को कष्ट देने लगे, तो लोगों ने ब्रह्माजी से इस समस्या के समाधान की प्रार्थना की। ब्रह्माजी ने सर्पों को उनकी मां के शाप के कारण अग्निकुंड में भस्म होने का शाप दिया। डरे हुए सर्पों ने ब्रह्माजी की शरण ली, जिन्होंने उन्हें पाताल लोक में रहने और बिना कारण मनुष्यों को परेशान न करने की सलाह दी। यह घटना पंचमी तिथि को हुई थी। इसके अलावा, वैवस्वत मन्वंतर में राजा जनमेजय के सर्प यज्ञ में असंख्य सर्पों की आहुति हो रही थी, लेकिन आस्तिक मुनि ने यज्ञ रुकवाकर और यज्ञ कुंड में दूध डालकर सर्पों को बचाया।
Nag Panchami 2025 : यह घटना भी पंचमी तिथि को हुई थी। इसलिए सावन शुक्ल पंचमी को नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में घरों, खेतों, खलिहानों, मंदिरों और तालाबों के किनारे नाग देवता के लिए दूध, लाई और चने की सत्तू चढ़ाई जाती है। कई स्थानों पर व्यायामशालाओं में कुश्ती और अन्य पारंपरिक खेलों का आयोजन भी किया जाता है, जो इस पर्व का उत्साह बढ़ाता है।
Nag Panchami 2025 : काल सर्प दोष का निवारण-
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में काल सर्प दोष है, उनके लिए नागपंचमी का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन नाग देवता और भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग का दूध से अभिषेक करने से काल सर्प दोष का निवारण होता है। यह पूजा न केवल दोष निवारण में सहायक है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाती है।
Nag Panchami 2025 : पूजा विधि और मंत्र-
नागपंचमी के दिन पूजा की विशेष विधि का पालन किया जाता है। घर के दरवाजे, तुलसी चौरा या पूजा स्थल पर गोबर से नाग की आकृति बनाई जाती है। इसके अलावा, सोने, चांदी, पीतल या तांबे की नाग मूर्ति की पूजा भी की जा सकती है। पूजा में अक्षत, दूबी, फूल, धूप, दीप, दूध, चने की सत्तू और लाई अर्पित की जाती है। पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
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