
Mahakumbh 2025 : आजाद भारत का पहला कुंभ मेला कब और कहां लगा था?
प्रयागराज: 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जा रहा है, जो 45 दिनों तक चलेगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के शाही स्नान के साथ समाप्त होगा। देश-विदेश से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे। हालांकि, इस महाकुंभ की चर्चा के बीच हम आपको बताते हैं कि आजाद भारत का पहला कुंभ कब और कहां आयोजित हुआ था।
आजाद भारत का पहला कुंभ
- स्थान: प्रयागराज
- वर्ष: 1954
- उद्देश्य: संगम में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाना
- खास बात: इस कुंभ में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने भी संगम में स्नान किया था।
महत्वपूर्ण घटनाएँ
- हाथी के नियंत्रण से बाहर होने का हादसा:
इस कुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन एक हाथी नियंत्रण से बाहर हो गया, जिससे 500 लोगों की जान चली गई थी। इस हादसे के बाद कुंभ में हाथी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। - वीआईपीज के लिए रोक:
इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नेहरू ने कुंभ के मुख्य स्नान पर्वों पर वीआईपीज के संगम में जाने पर रोक लगा दी थी, जो आज भी लागू है। - 12 करोड़ श्रद्धालु शामिल हुए थे:
1954 के कुंभ में कुल 12 करोड़ श्रद्धालु शामिल हुए थे, जो उस समय एक ऐतिहासिक संख्या थी।
कुंभ की तैयारी और व्यवस्थाएँ
- सीएम गोविंद बल्लभ पंत ने नाव और पैदल चलकर कुंभ की तैयारियों का जायजा लिया था।
- संगम किनारे 7 अस्थाई अस्पताल बनवाए गए थे और भीड़ की सुरक्षा के लिए लाउडस्पीकर्स लगाए गए थे।
- 1000 स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थीं, ताकि रात में भी श्रद्धालु आसानी से स्नान कर सकें।
आजाद भारत के पहले कुंभ ने न केवल धार्मिक महत्व बल्कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी एक नया उदाहरण पेश किया। आगामी महाकुंभ 2025 में, श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाओं और व्यवस्था के साथ इस महान आयोजन का पालन किया जाएगा।
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