Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में संतों और उनके अद्भुत ज्ञान की चर्चा हो रही है, लेकिन इस बार एक विशेष बाबा की चर्चा जोरों पर है, जिन्हें ‘चाबी वाले बाबा’ के नाम से जाना जाता है। यह बाबा एक रथ लेकर चलते हैं, जो हाथ से चलता है, और उनके रथ पर ढेर सारी चाबियाँ लगी हैं। इन चाबियों के माध्यम से वह जीवन के ताले को खोलने का संदेश देते हैं, साथ ही कलयुग से सतयुग की ओर जाने का रास्ता भी दिखाने की बात करते हैं। उनका कहना है कि वह इस चाबी से सतयुग के द्वार खोलना चाहते हैं।
यह चाबी वाले बाबा यूपी के रायबरेली जिले के रोहनिया खास के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम अयोध्या दास है, और उन्होंने 13 साल की उम्र में अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित किया, जिस पर वह आज तक काम कर रहे हैं। बाबा का कहना है, “हम इस धरती पर ना कुछ लेकर आते हैं, न कुछ लेकर जाते हैं। जीवनभर मनुष्य केवल इधर से उधर करता है।”
Mahakumbh 2025: बाबा हरिश्चंद्र ने अपने नाम का अर्थ बताया
बाबा ने अपने नाम का विशेष अर्थ बताया, जो क से लेकर ज्ञ तक और अ से लेकर अः तक के वर्णों के माध्यम से दुनिया की रचना करने की बात करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज तक विज्ञान ने कोई ऐसी आवाज़ की फ्रीक्वेंसी नहीं बनाई है। उनका कहना है कि उनके माता-पिता ने उनका नाम हरिश्चंद्र रखा था, क्योंकि वे सत्य की साधना करना चाहते थे, लेकिन लोगों ने उन्हें यह कहते हुए उपहास उड़ाया कि “हरिश्चंद्र बनोगे तो मरोगे”। वह कहते हैं कि सत्य के मार्ग पर चलने से ही जीवन का वास्तविक सुख मिलता है।
Mahakumbh 2025: दीन-दुखियों की सेवा ही भगवान की सेवा है
चाबी वाले बाबा का मानना है कि दीन-दुखियों की सेवा करना ही भगवान की सेवा है। उनका कहना है कि वे ऋषि-मुनियों की तरह अपनी जगह पर बैठ सकते थे, लेकिन आज के समय में लोगों के बीच जाकर उन्हें सद्गति की ओर प्रेरित करना जरूरी हो गया है। उन्होंने अपने कंधे पर एक बांड भी टांगा है, जिसका उन्होंने अर्थ बताया कि यह निरंकुशों के लिए अंकुश है, और योगी जी के अनुसार “एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला रखना चाहिए।”
Mahakumbh 2025: रामराज्य की इच्छा रखने वाले बाबा
चाबी वाले बाबा के रथ पर श्री राम की तस्वीर लगी है, और उन्होंने नारा दिया है “सतयुग आए जैसे”। उनका कहना है कि वे रामराज लाना चाहते हैं, क्योंकि राम के राज्य में कोई दीन-दुखी नहीं था, कोई अबोध नहीं था और कोई लक्ष्यहीन नहीं था। बाबा ने कहा, “मैं विश्व को शांति का संदेश देना चाहता हूं, भारत की धरती से।”
Mahakumbh 2025: आमंत्रण 23 जनवरी को
चाबी वाले बाबा ने 23 जनवरी को लोगों को आमंत्रित किया है। वे चाहते हैं कि लोग उनका संदेश सुनें, समझें और उसे अपने फोन में रिकॉर्ड करें। उनका उद्देश्य यह है कि लोग उनके संदेश को आत्मसात करें और उस पर विचार करें। बाबा का कहना है, “मैं खुश होकर वापस जाऊंगा, और माँ गंगा मुझे अपनी गोद में समाहित कर ले, तब मैं संतुष्ट रहूंगा।”
उन्होंने अपनी चाबियाँ स्वामी रामदेव और अन्ना हजारे को भी दी हैं। उनका उद्देश्य लोगों में संवेदनाओं को जागरूक करना है और उन्हें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देना है।
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