
Maha Kumbh Mela 2025 प्रयागराज के त्रिवेणी तट पर PM मोदी करेंगे कुंभ कलश की स्थापना क्या है इसकी खासियत...
प्रयागराज : Maha Kumbh Mela 2025 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी संगम तट पर कुंभ कलश की स्थापना करेंगे। यह आयोजन कुंभ मेले की भव्यता को बढ़ाने और भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक संदेश को विश्व स्तर पर फैलाने का प्रतीक माना जा रहा है।
क्या है कुंभ कलश की खासियत?
मेला प्राधिकरण द्वारा विशेष रूप से तैयार किया गया यह कुंभ कलश बेहद अनोखा और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है।
- मोतियों से जड़ित डिजाइन: कलश को खूबसूरती से मोतियों और पारंपरिक अलंकरणों से सजाया गया है।
- गंगा जल: इसमें त्रिवेणी संगम का पवित्र गंगा जल भरा जाएगा।
- पंचरत्न और सर्वोषधि: कलश में पंचरत्न (हीरा, पन्ना, माणिक्य, मोती, और नीलम) के साथ-साथ सर्वोषधि, जो विभिन्न औषधीय पौधों का मिश्रण है, रखा जाएगा।
- अन्य सामग्री: दुर्बा (पवित्र घास), सुपारी, और हल्दी जैसी शुभ सामग्री भी इसमें शामिल की गई है।
कार्यक्रम का उद्देश्य
इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल कुंभ मेले की परंपरा को पुनर्जीवित करना है, बल्कि इसे एक वैश्विक पहचान देना भी है। प्रयागराज में होने वाले कुंभ को न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
PM मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने और उन्हें आधुनिक दुनिया में प्रासंगिक बनाने का प्रतीक है।
- इस आयोजन के दौरान, प्रधानमंत्री संगम पर विशेष पूजा-अर्चना करेंगे और कलश स्थापना के माध्यम से धार्मिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता का संदेश देंगे।
स्थानीय उत्साह और तैयारियां
- प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर इस विशेष कार्यक्रम के लिए भव्य तैयारियां की जा रही हैं।
- हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के इस आयोजन में शामिल होने की उम्मीद है।
- सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं, और मेला क्षेत्र को रोशनी और पारंपरिक सजावट से सुसज्जित किया गया है।
कुंभ और भारतीय संस्कृति का प्रतीक
कुंभ मेले को भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है।
- यह आयोजन लाखों श्रद्धालुओं को संगम में डुबकी लगाने और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
- कुंभ कलश की स्थापना इस परंपरा को और अधिक समृद्ध और भव्य बनाने का प्रयास है।
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