
Land for job scam
Land for job scam: नई दिल्ली: ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले में आरजेडी प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले को लालू यादव के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
Land for job scam: कोर्ट ने याचिका क्यों खारिज की?
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस रवींद्र दुजेटा ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने की प्रक्रिया के दौरान लालू यादव को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस और वैध आधार याचिका में प्रस्तुत नहीं किया गया।
Land for job scam: लालू यादव की ओर से क्या कहा गया?
लालू यादव की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उन्होंने दलील दी कि सीबीआई ने जांच शुरू करने से पहले कानूनन जरूरी पूर्व अनुमति (संविधान के तहत संरक्षण) नहीं ली। सिब्बल ने कहा कि अन्य आरोपियों के मामले में अनुमति ली गई थी, लेकिन लालू यादव के मामले में यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
Land for job scam: सीबीआई का पक्ष
सीबीआई ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत कोई पूर्व अनुमति जरूरी नहीं थी। साथ ही एजेंसी ने बताया कि धारा 19 के तहत आवश्यक अनुमति पहले ही मिल चुकी है। सीबीआई ने अदालत को यह भी बताया कि इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में पहले से सुनवाई लंबित है और जल्द ही तीन जजों की बेंच इस पर विचार करेगी।
Land for job scam: क्या है ‘लैंड फॉर जॉब्स’ घोटाला?
यह मामला उस वक्त का है जब लालू यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने कुछ व्यक्तियों को रेलवे में नौकरी दिलवाने के बदले उनसे या उनके परिजनों से जमीन ली। आरोप है कि ये जमीनें या तो उपहार के रूप में ली गईं या फिर बाजार मूल्य से बेहद कम कीमत पर खरीदी गईं। इस घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) दोनों एजेंसियां कर रही हैं।
Land for job scam: 2 जून से शुरू होगी आरोप तय करने की सुनवाई
अब इस मामले में ट्रायल कोर्ट 2 जून से आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब लालू यादव को निचली अदालत में अपने बचाव के लिए ठोस दलीलें पेश करनी होंगी। यह मामला न केवल कानूनी रूप से बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम माना जा रहा है। आने वाले समय में इसका असर बिहार की राजनीति और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के भविष्य पर भी पड़ सकता है।
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