हिंदू धर्म के अनुसार, हर जीव इस दुनिया में परब्रह्म के पास लौटने की प्रक्रिया में जन्म लेता है। इसका मुख्य उद्देश्य सद्गति, यानी मोक्ष प्राप्त करना है, ताकि वह बार-बार जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो सके। यह प्रक्रिया अच्छे कर्मों और भक्ति के मार्ग से होती है। लेकिन किसी व्यक्ति के कर्मों में कमी होने पर उसे पुनः जीवात्मा की शुद्धि की यात्रा करनी पड़ती है, जिसमें कई कष्ट सहने होते हैं।
शुभ और अशुभ समय का अर्थ
हिंदू धर्म के अनुसार,
- शुभ समय में मृत्यु आत्मा के लिए सद्गति का संकेत होती है।
- वहीं, अशुभ समय में मृत्यु आत्मा के लिए दुर्गति का संकेत होता है।
- विशेष रूप से पंचक काल में किसी व्यक्ति की मृत्यु को अशुभ माना जाता है, जो न केवल मृतक के परिवार के लिए संकट लाता है, बल्कि परिवार में एक के बाद एक मौतों की संभावना भी बढ़ाता है।
खरमास का महत्व और अशुभ संकेत
भारतीय पंचांग पद्धति के अनुसार, सौर पौष मास को खर मास कहा जाता है। इसे मल मास या काला महीना भी कहा जाता है।
ब्रह्म पुराण के अनुसार खरमास में मृत्यु के संकेत:
- यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु खरमास में होती है, तो इसका अर्थ होता है कि उसने अपने जीवन में अच्छे कर्म नहीं किए हैं।
- ऐसे व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलेगा और उसे नर्क की यातना सहनी पड़ेगी।
- इसके अलावा, उसे पुनः पृथ्वी पर जन्म लेना होगा, ताकि वह कर्मों के फल भुगत सके।
महाभारत की कथा: भीष्म पितामह का उदाहरण
महाभारत के प्रसंग में आता है कि पौष खर मास के दौरान, कुरूक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन ने भीष्म पितामह को बाणों से घायल किया।
- लेकिन भीष्म पितामह ने तुरंत प्राण नहीं त्यागे।
- उन्होंने खरमास समाप्त होने तक प्राणों का त्याग न करने की प्रतीक्षा की, क्योंकि मान्यता है कि खरमास में मृत्यु किसी के लिए अशुभ होती है।
- उन्होंने सूर्य उत्तरायण के आने और खरमास के बीतने का इंतजार किया।
- अंततः, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन, उन्होंने प्राण त्यागे।
इस प्रकार, कहा जाता है कि जो व्यक्ति माघ मास में मृत्यु के समय इस दुनिया से विदा होता है, वह सीधे स्वर्ग का भागी बनता है।
हिंदू धर्म में खरमास न केवल जन्म और मृत्यु के चक्रों की प्रक्रिया का संकेत देता है, बल्कि यह जीवन के कर्मों की जिम्मेदारी और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर चलने की प्रक्रिया का गूढ़ संदर्भ भी प्रस्तुत करता है। अच्छे कर्म और भक्ति का मार्ग ही जीवन में सफलता और मोक्ष की प्राप्ति की कुंजी हैं।
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