
कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' सिनेमा और राजनीति का संगम....
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कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' सिनेमा और राजनीति का संगम....
बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री कंगना रनौत एक बार फिर से अपनी आगामी फिल्म ‘इमरजेंसी‘ के कारण सुर्खियों में हैं। इस फिल्म में उन्होंने भारतीय राजनीति के एक बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण अध्याय को पर्दे पर लाने का
साहसिक प्रयास किया है। फिल्म भारत में 1975 में लगी इमरजेंसी पर आधारित है, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के सबसे विवादित निर्णयों में से एक माना जाता है।
फिल्म के मोशन पोस्टर और टीज़र ने पहले ही दर्शकों का ध्यान खींचा है। कंगना ने न केवल इस फिल्म का निर्देशन किया है, बल्कि इसमें मुख्य भूमिका भी निभाई है। उनकी भूमिका के प्रति दर्शकों की उत्सुकता इसलिए भी अधिक है
क्योंकि वे अपने दमदार अभिनय और विवादित विषयों पर फिल्में बनाने के लिए जानी जाती हैं। फिल्म की रिलीज डेट का ऐलान होते ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
हालांकि, इस फिल्म के साथ कंगना को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। हाल ही में उन्हें डथ थ्रेट्स मिली हैं, जिसे लेकर उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है। लेकिन, कंगना ने हमेशा की तरह इन धमकियों को नजरअंदाज करते हुए अपने काम को प्राथमिकता दी है। उन्होंने साफ कहा है कि वे सच के साथ खड़ी हैं और रहेंगी। कंगना का यह साहस उनके प्रशंसकों और फिल्म इंडस्ट्री के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ‘साबरमती रिपोर्ट’ पर बात की, जिसमें भारतीय संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करने का संदेश दिया गया है।
राजस्थान सरकार ने इस रिपोर्ट को टैक्स-फ्री घोषित कर इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का सराहनीय निर्णय लिया है। यह कदम यह दर्शाता है कि सरकार भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के प्रति कितनी गंभीर है।
कंगना की ‘इमरजेंसी’ जैसी फिल्मों और सरकार के इस प्रकार के कदमों से यह साफ हो गया है कि भारतीय सिनेमा अब केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रह गया है। यह अब सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर करने का एक प्रभावी माध्यम बनता जा रहा है।
कंगना की फिल्म जहां इतिहास के उन पन्नों को उजागर करती है, जिनसे नई पीढ़ी अनभिज्ञ हो सकती है, वहीं ‘साबरमती रिपोर्ट’ जैसे प्रयास यह याद दिलाते हैं कि हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करना बेहद जरूरी है।
इन सभी घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय सिनेमा और सरकार दोनों मिलकर समाज को जागरूक करने और सशक्त बनाने में अपनी भूमिकाएं निभा रहे हैं। कंगना रनौत की ‘इमरजेंसी’ और ‘साबरमती रिपोर्ट’ जैसे प्रयास आने वाले समय में कला और राजनीति के संगम का एक नया अध्याय लिखेंगे।
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