
Justice Yashwant Verma
Justice Yashwant Verma: नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर संसद में हलचल तेज हो गई है। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे जस्टिस वर्मा के खिलाफ लोकसभा और राज्यसभा के कुल 208 सांसदों ने महाभियोग के समर्थन में दस्तखत किए हैं। सोमवार को प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपा गया।
राज्यसभा चेयरमैन धनखड़ ने पुष्टि की कि उन्हें न्यायमूर्ति वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव मिला है। उन्होंने बताया कि राज्यसभा के महासचिव आगे की प्रक्रिया निर्धारित करेंगे और जल्द ही निर्णय से अवगत कराया जाएगा।
क्या है मामला?
मार्च में जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, जिनमें से कई नोट जले हुए थे। इस घटना की जानकारी अग्निकांड की सूचना पर पहुंची फायर ब्रिगेड और बाद में पुलिस को मिली थी। उस समय वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में थे। मामले के सामने आने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन उन्हें अब तक कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया है।
तीन जजों की जांच समिति की रिपोर्ट
तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने तीन जजों की समिति बनाई थी, जिसने आंतरिक जांच में पाया कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का उस स्टोर पर नियंत्रण था जहां नकदी पाई गई। रिपोर्ट में कहा गया कि कदाचार इतना गंभीर है कि उन्हें पद से हटाना जरूरी है।
विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ने किया समर्थन
महाभियोग प्रस्ताव पर लोकसभा में 145 सांसदों, जिनमें राहुल गांधी, रविशंकर प्रसाद और अनुराग ठाकुर जैसे नेता शामिल हैं, ने हस्ताक्षर किए हैं। राज्यसभा में 63 सांसदों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने कहा, जांच के बाद यदि जस्टिस वर्मा दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें हटाना ही होगा।
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