
मेक इन इंडिया
नई दिल्ली: नवरात्रि के दूसरे दिन, सोमवार, 31 मार्च 2025 को भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन पटरियों पर दौड़ेगी। यह ऐतिहासिक ट्रेन दिल्ली डिवीजन के 89 किमी लंबे जींद-सोनीपत मार्ग पर चलेगी। सफल ट्रायल रन के बाद इसे नियमित रूप से चलाया जाएगा। इस उन्नत तकनीक के साथ भारत जर्मनी, फ्रांस और चीन जैसे चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ग्रीन मोबिलिटी को अपना चुके हैं। आइए जानते हैं इस हाइड्रोजन ट्रेन की खासियत।
हाइड्रोजन ट्रेन की खास विशेषताएँ
हाइड्रोजन ट्रेन में बिजली बचाने वाली HOG (हेड-ऑन जेनरेशन) तकनीक और LED लाइट्स का उपयोग किया गया है। इसमें कम बिजली खपत वाले उपकरण लगाए गए हैं और रास्ते में पेड़ भी लगाए जा रहे हैं। रेलवे स्टेशनों और आसपास की जमीन पर सोलर प्लांट स्थापित किए गए हैं। यह ट्रेन पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद है, क्योंकि इससे कोई प्रदूषण नहीं होता। यह भारतीय रेलवे के उस लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगी, जिसमें वह 2030 तक ‘नेट ज़ीरो कार्बन एमिटर’ बनना चाहता है।
क्षमता और प्रदर्शन
रेलवे के अनुसार, यह ट्रेन 110 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी। इसमें 8 कोच होंगे और 2,638 यात्री सफर कर सकेंगे। 1200 एचपी की शक्ति वाला इसका इंजन दुनिया में सबसे अधिक क्षमता वाला है। इसके अलावा, रेलवे ने डीजल से चलने वाली एक DEMU ट्रेन को हाइड्रोजन से चलाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगाए जाएंगे और ज़मीनी स्तर पर ज़रूरी ढांचा तैयार किया जा रहा है।
हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज: 2800 करोड़ का प्रोजेक्ट
‘हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’ नामक इस खास प्रोजेक्ट के तहत भारतीय रेलवे हेरिटेज और पहाड़ी मार्गों पर 35 हाइड्रोजन ट्रेनें चलाने की योजना बना रहा है। इस साल के बजट में इन 35 ट्रेनों के लिए 2,800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। साथ ही, हेरिटेज रूट पर हाइड्रोजन से जुड़े ढांचे के लिए 600 करोड़ रुपये अलग से रखे गए हैं। यह पहल भारत के नवाचार और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के संयोजन को दर्शाती है।