Importance of Shankh : लक्ष्मी नारायण पूजा में शंख का महत्व, क्यों बिना शंख अधूरी मानी जाती है पूजा...
Importance of Shankh : नई दिल्ली: हिंदू धर्म में शंख को अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली धार्मिक प्रतीक माना गया है। देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा में शंख की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है। मान्यता है कि बिना शंख की ध्वनि के लक्ष्मी नारायण की पूजा अधूरी रहती है।
Importance of Shankh : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शंख का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। यह 14 रत्नों में से एक था, जो 12वें क्रम पर प्रकट हुआ। इसी समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी का भी प्रादुर्भाव हुआ था, इसलिए शंख और लक्ष्मी को भाई-बहन माना जाता है। इसी कारण शंख लक्ष्मी जी को अत्यंत प्रिय है।
Importance of Shankh : शंख की ध्वनि का महत्व
शंख की ध्वनि केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि वास्तुशास्त्र, मेडिटेशन और योग के लिए भी शुभ मानी जाती है। इसकी ध्वनि से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह मानसिक एकाग्रता और शांति का प्रतीक भी है। शास्त्रों के अनुसार, सत्यनारायण भगवान की पूजा शंख बजाए बिना अधूरी मानी जाती है।
Importance of Shankh : विष्णु जी और शंख का संबंध
भगवान विष्णु के चार हाथों में से एक में शंख हमेशा दिखाई देता है। समुद्र मंथन से प्राप्त इस दिव्य वस्तु को विष्णु जी ने अपने अस्त्र के रूप में धारण किया। ब्रह्म वैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख, लक्ष्मी और विष्णु दोनों का स्थान है। शंख जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Importance of Shankh : पूजा में शंख का महत्व
लक्ष्मी नारायण की पूजा में शंख का होना अत्यंत आवश्यक माना गया है। शंख को यश, कीर्ति और वैभव का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि हर शुभ कार्य और विशेष पूजा में शंख बजाना या रखना कल्याणकारी माना जाता है।
Importance of Shankh : हिंदू धर्म में शंख केवल एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति, विजय और समृद्धि का प्रतीक है। इसके बिना कोई भी लक्ष्मी नारायण पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। यही वजह है कि आज भी मंदिरों में, पूजा स्थलों में और धार्मिक अनुष्ठानों में शंख का विशेष स्थान है।






