
स्कूल के साथ सरकारी भूल
रायपुर। स्कूल के साथ सरकारी भूल : छत्तीसगढ़ में बड़ी तादाद में शिक्षा के मंदिर यानि स्कूल हैं। ये सभी स्कूल सरकारी भूल का खामियाज़ा भुगतते आ रहे हैं। कितने स्कूल और कितने शिक्षक ? कितने छात्र -छात्राएं लेती हैं शिक्षा, तो प्रदेश में स्कूल ड्राप आउट का क्या रेट है ? सब कुछ आपको बताएंगे बस आप बने रहिए एशियन न्यूज़ भारत के साथ –
स्कूल के साथ सरकारी भूल : सरकारी आंकड़ों का समीकरण
छत्तीसगढ़ में वर्त्तमान में कुल 56 हजार 8 सौ 95 शासकीय स्कूल हैं, जहां, 51 लाख 67 हजार 3 सौ 57 से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। इनके लिए लगभग 1 लाख 78 हजार 7 सौ 31 शिक्षक हैं। प्रदेश के 5 हजार 8 सौ 40 ऐसे स्कूल हैं, जिनमें पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं।
इन स्कूलों को सिर्फ एक-एक शिक्षक चला रहे हैं। 2022-23 सत्र में 6 हजार 2 सौ 71 स्कूल ऐसे थे, जिनमें मात्र एक ही शिक्षक थे। इस बीच केवल 431 स्कूलों में कमी आई है। सबसे ज्यादा समस्या तो बस्तर संभाग में हैं। इसी प्रकार सरगुजा संभाग में भी हैं। बस्तर जिला में 430, कोंडागांव में 420, सुकमा में 300, कोरबा 340, बलरामपुर 300, कांकेर 260 और रायगढ़ के 260 स्कूल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
शासन – प्रशासन की नाक के नीचे भी कुछ नहीं
वहीं, एकल अध्यापक की बात करें, तो वह प्रदेश के सभी जिले में हैं। यहां तक कि रायपुर जिले के 20 से अधिक स्कूल इसमें शामिल हैं। फिर भी शिक्षा विभाग के अफसरों की तन्द्रा नहीं टूट रही है।
असल में रायपुर शहर के अंदर कई स्कूल हैं, जहां शिक्षकों की संख्या अधिक है। इनमें ठाकुर प्यारेलाल स्कूल, दानी गर्ल्स स्कूल, जेएन पांडेय स्कूल शामिल है, जहां 50 से अधिक शिक्षक हैं।
फेल हुए तो दोबारा पढ़ाई
अभी कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने जारी आंकड़ों के अनुसार, फेल होने पर दोबारा उसी कक्षा में पढ़ाई करने वालों में छत्तीसगढ़ में 7.7 प्रतिशत हैं। तो वहीं, मध्य प्रदेश में 7.3 फीसदी , झारखंड के 5.4 फीसदी फेल होने पर दोबारा पढ़ाई करके अगली परीक्षा पास होने की कोशिश करते हैं।
स्कूल ड्रॉप आउट की संख्या में कमी
छत्तीसगढ़ में पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी कमी आई है। 2023-24 में प्राइमरी 1.8, अपर प्राइमरी में 5.3, सेकेंडरी में 16.20 हैं, जबकि 2022-23 में प्राइमरी 5.40, अपर प्राइमरी में 6.60 और सेकेंडरी में 18.20 था।
हालांकि, शिक्षा विभाग की और से ड्रॉपआउट कम करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाई-लिखाई का बेहतर माहौल देने स्कूलों में सुविधाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।
वहीं, प्रवेश के समय शिक्षकों द्वारा गली-मोहल्लों में जाकर छात्र-छात्राओं का स्कूल पढ़ाने के कारण और उसको मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास किया जाता है।
इसी का नतीजा है कि पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। हालांकि, इसके बावजूद अभी भी शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या है।
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