
रायपुर। CM की रेस वाले फेस को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस में इंकार के पीछे छिपा इकरार और तकरार वाला माहौल बदला -बदला सा दिखाई देता है। ठीक वैसे ही जैसे मेले में किसी गार्जियन की डांट खाने के बाद उसके बच्चे एक स्वर में कहते हैं कि मैं मिठाई नहीं खाता। कांग्रेस के दिग्गज़ नेताओं की इन बातों ने विपक्ष को बैठे – बिठाए तंज़ कसने का मौका उनके हाथों में थमा दिया है। CM की रेस वाले फेस को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज़ और TS सिंहदेव ने एक जैसा बयान दिया है। इन दोनों ही नेताओं का कहना है कि वे CM की रेस वाले फेस नहीं हैं।
CM की रेस वाले फेस : पहले मामले को समझिये
दरअसल छत्तीसगढ़ की सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं की बयानबाजी इन दिनों खूब चर्चा में है। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस के बड़े नेता खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर बता रहे हैं। ऐसे में दिलचस्प बात तो ये है कि राज्य में विधानसभा चुनाव अभी 4 साल दूर है। कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयान पर भाजपा के नेता चुटकी ले रहे हैं। वे इसे मुंगेरीलाल के हसीन सपने और ख्याली पुलाव बता रहे हैं।
CM पद की रेस में नहीं तो फिर…!
छत्तीसगढ़ PCC चीफ दीपक बैज और पूर्व डिप्टी सीएम TS सिंहदेव ने तकरीबन एक ही जैसी बात कही कि दोनों सीएम पद की रेस में नहीं है। कांग्रेस की सत्ता में वापसी ही उनका एकमात्र लक्ष्य है। हालांकि इसमें अभी 4 साल का वक्त है, लेकिन उससे पहले दोनों नेताओं के इस बयान ने उस समय की याद ताजा करा दी। जब कांग्रेस सरकार में ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर घमासान मचा था। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया के कृपापात्र रहे भूपेश बघेल CM बनाए गए और कांग्रेस की इस बड़ी जीत के दूसरे बड़े सूत्रधार TS सिंहदेव को स्वास्थ्य मंत्री का झुनझुना थमा कर किनारे कर दिया गया था। जब फिर चुनाव करीब आया तो उनको पदोन्नत कर के डिप्टी सीएम की खझडी थमा दी गई।
मौका देख BJP के नेता मर रहे चौका…!
कांग्रेस नेताओं के सीएम पद को लेकर बयान आए तो बीजेपी को चुटकी लेने का मौका मिल गया। डिप्टी सीएम साव ने इसे मुंगेरीलाल के हसीन सपने कहा तो मंत्री केदार कश्यप ने इसे ख्याली पुलाव बताया। कांग्रेस के लिए प्रदेश की सत्ता और उसके नेताओं के लिए सीएम पद की रेस अभी दूर की कौड़ी है। साय सरकार भारी बहुमत के साथ सत्ता में है वहीं अगला विधानसभा चुनाव चार साल दूर है। 2028 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी में क्या समीकरण बनेंगे। तब ऊंट किस करवट बैठेगा ये भविष्य के गर्त में है। तब तक पार्टी में एकजुटता का संदेश और खुद को सीएम पद के रेस से दूर रखना ही समझदारी भरा कदम है ताकि पार्टी की किसी भी तरह की संभावित गुटबाजी को टाला जा सके। वैसे भी अभी तो इतना समझ लीजै कि CM की रेस वाले फेस ले अंगूर खट्टे हैं।