
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया बयानों पर जोरदार जवाब दिया। राहुल गांधी ने सार्वजनिक बैंकों की स्थिति पर सवाल उठाते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा था। सीतारमण ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में सार्वजनिक बैंकों का इस्तेमाल “एटीएम” की तरह किया और उन्हें कर्ज के बोझ तले दबा दिया।
वित्तीय जिम्मेदारी पर बहस
सीतारमण ने जोर देकर कहा कि जब एनडीए ने सत्ता संभाली, तब बैंकों की स्थिति बेहद खराब थी। उन्होंने यूपीए शासनकाल के दौरान बैंकों को एनपीए के संकट में फंसाने का आरोप लगाया। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि एनडीए सरकार ने बैंकों को इस संकट से बाहर निकालने के लिए व्यापक सुधार लागू किए।
राहुल गांधी का आरोप
राहुल गांधी ने सार्वजनिक बैंकों के माध्यम से कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के निर्णय आम जनता के हितों के खिलाफ हैं और बैंकों की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
राजनीतिक वाद-विवाद
यह विवाद बैंकों की पारदर्शिता और उनके संचालन को लेकर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच बढ़ते टकराव को उजागर करता है। जहां कांग्रेस खुद को आर्थिक सुधारों का जनक मानती है, वहीं बीजेपी अपनी नीतियों को संकट प्रबंधन के तौर पर प्रस्तुत करती है।
सार्वजनिक बैंकों की अहमियत
भारत की अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ये बैंक न केवल वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं, बल्कि ग्रामीण और शहरी विकास में भी योगदान देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में एनपीए, विलय और निजीकरण जैसे मुद्दों पर बढ़ी बहस ने बैंकों को राजनीतिक विमर्श का केंद्र बना दिया है।
इस विवाद के बीच, जनता और विशेषज्ञों की नजरें इस पर टिकी हैं कि बैंकों की स्थिरता और विकास के लिए सरकार और विपक्ष किन नीतियों को आगे बढ़ाएंगे।