
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने चंबल अभयारण्य के पर्यटन को बढ़ावा देने की घोषणा की
MP NEWS : मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है. पर्यटकों में यह चंबल बोट सफारी के नाम से प्रसिद्ध है. यह तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयासों से एक प्रमुख संरक्षण परियोजना है. मध्य प्रदेश में साल 1978 में इसे वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में मान्यता दी गई थी. चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य का खास मकसद लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाले छत कछुए और लुप्तप्राय गांगेय डॉल्फिन को संरक्षित करना है.
घड़ियालों और गंगा डॉल्फिनों का निवास स्थान, पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है. घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और डॉल्फ़िन यहाँ पाए जाते हैं। अन्य जानवर जो (दुर्लभ) श्रेणी में हैं, उनमें मगरमच्छ, चिकने-लेपित ऊदबिलाव, धारीदार लकड़बग्घा और भारतीय भेड़िये हैं, जो संरक्षण सूची की अनुसूची-1 में शामिल हैं.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चंबल नदी में कछुआ परिवार की 26 दुर्लभ प्रजातियों में से 8 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें भारतीय संकीर्ण सिर एवं नरम खोल वाला कछुआ, तीन धारीदार छत वाला कछुआ और मुकुटधारी नदी वाला कछुआ शामिल हैं, जो यहां की पहचान है.
शीतकाल है घड़ियाल देखने का सही समय
चंबल में घड़ियाल अभयारण्य देखने के लिए यात्रा का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून तक रहता है. शीतकाल में घड़ियाल देखने और यह क्षेत्र घूमने का सबसे अच्छा समय माना गया है. राष्ट्रीय चंबल वन्य-जीव अभयारण्य में प्रकृति को देखने की बहुत सी गतिविधियां होती हैं. घड़ियाल, डॉल्फ़िन, अन्य सरीसृप, जल निकायों और सुंदर परिदृश्य की फोटोग्राफी नाव की सवारी से की जा सकती है. यहां की घाटियों और नदियों के किनारे पगडंडियों पर चलना प्रकृति को करीब से देखने का मौका देता है.
चंबल नदी करीब 1000 किलोमीटर लंबी है. पर्यटक चंबल घड़ियाल सफारी अभयारण्य का आनंद उक्त क्षेत्र के निकटवर्ती नगरों में रहवास सुविधा का उपयोग ले सकते हैं.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है. पर्यटकों में यह चंबल बोट सफारी के नाम से प्रसिद्ध है. यह तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयासों से एक प्रमुख संरक्षण परियोजना है. मध्य प्रदेश में साल 1978 में इसे वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में मान्यता दी गई थी. चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य का खास मकसद लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाले छत कछुए और लुप्तप्राय गांगेय डॉल्फिन को संरक्षित करना है.
घड़ियालों और गंगा डॉल्फिनों का निवास स्थान, पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है. घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और डॉल्फ़िन यहाँ पाए जाते हैं। अन्य जानवर जो (दुर्लभ) श्रेणी में हैं, उनमें मगरमच्छ, चिकने-लेपित ऊदबिलाव, धारीदार लकड़बग्घा और भारतीय भेड़िये हैं, जो संरक्षण सूची की अनुसूची-1 में शामिल हैं.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चंबल नदी में कछुआ परिवार की 26 दुर्लभ प्रजातियों में से 8 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें भारतीय संकीर्ण सिर एवं नरम खोल वाला कछुआ, तीन धारीदार छत वाला कछुआ और मुकुटधारी नदी वाला कछुआ शामिल हैं, जो यहां की पहचान है.
शीतकाल है घड़ियाल देखने का सही समय
चंबल में घड़ियाल अभयारण्य देखने के लिए यात्रा का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून तक रहता है. शीतकाल में घड़ियाल देखने और यह क्षेत्र घूमने का सबसे अच्छा समय माना गया है. राष्ट्रीय चंबल वन्य-जीव अभयारण्य में प्रकृति को देखने की बहुत सी गतिविधियां होती हैं. घड़ियाल, डॉल्फ़िन, अन्य सरीसृप, जल निकायों और सुंदर परिदृश्य की फोटोग्राफी नाव की सवारी से की जा सकती है. यहां की घाटियों और नदियों के किनारे पगडंडियों पर चलना प्रकृति को करीब से देखने का मौका देता है.
चंबल नदी करीब 1000 किलोमीटर लंबी है. पर्यटक चंबल घड़ियाल सफारी अभयारण्य का आनंद उक्त क्षेत्र के निकटवर्ती नगरों में रहवास सुविधा का उपयोग ले सकते हैं.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है. पर्यटकों में यह चंबल बोट सफारी के नाम से प्रसिद्ध है. यह तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयासों से एक प्रमुख संरक्षण परियोजना है. मध्य प्रदेश में साल 1978 में इसे वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में मान्यता दी गई थी. चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य का खास मकसद लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाले छत कछुए और लुप्तप्राय गांगेय डॉल्फिन को संरक्षित करना है.
घड़ियालों और गंगा डॉल्फिनों का निवास स्थान, पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है. घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और डॉल्फ़िन यहाँ पाए जाते हैं। अन्य जानवर जो (दुर्लभ) श्रेणी में हैं, उनमें मगरमच्छ, चिकने-लेपित ऊदबिलाव, धारीदार लकड़बग्घा और भारतीय भेड़िये हैं, जो संरक्षण सूची की अनुसूची-1 में शामिल हैं.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चंबल नदी में कछुआ परिवार की 26 दुर्लभ प्रजातियों में से 8 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें भारतीय संकीर्ण सिर एवं नरम खोल वाला कछुआ, तीन धारीदार छत वाला कछुआ और मुकुटधारी नदी वाला कछुआ शामिल हैं, जो यहां की पहचान है.
शीतकाल है घड़ियाल देखने का सही समय
चंबल में घड़ियाल अभयारण्य देखने के लिए यात्रा का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून तक रहता है. शीतकाल में घड़ियाल देखने और यह क्षेत्र घूमने का सबसे अच्छा समय माना गया है. राष्ट्रीय चंबल वन्य-जीव अभयारण्य में प्रकृति को देखने की बहुत सी गतिविधियां होती हैं. घड़ियाल, डॉल्फ़िन, अन्य सरीसृप, जल निकायों और सुंदर परिदृश्य की फोटोग्राफी नाव की सवारी से की जा सकती है. यहां की घाटियों और नदियों के किनारे पगडंडियों पर चलना प्रकृति को करीब से देखने का मौका देता है.
चंबल नदी करीब 1000 किलोमीटर लंबी है. पर्यटक चंबल घड़ियाल सफारी अभयारण्य का आनंद उक्त क्षेत्र के निकटवर्ती नगरों में रहवास सुविधा का उपयोग ले सकते हैं.
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