Chhattisgarh News : क्या छत्तीसगढ़ मे भी भंग होंगे निगम मंडल…

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Chhattisgarh News : रायपुर : छत्तीसगढ़ में अभी जिस बात की चर्चा जोरों पर है, वो है निगम, मंडल और आयोग में नियुक्तियां की चर्चा…. प्रदेश में नगरीय निगम चुनाव के पहले निगम, मंडल और आयोग में नियुक्तियां कर दी जाएंगी… वहीं इस बार 13 संसदीय सचिव बनाए जा सकते हैं….

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Chhattisgarh News : भारतीय जनता पार्टी के नेता निगम मंडल और आयोग को लेकर अभी से जोड़-तोड़ में जुट गए हैं…. हालांकि पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार किन नेताओं को मौका दिया जाएगा…वही दूसरी तरफ मध्यप्रदेश सरकार ने घाटे मे जा रही निगम मंडलो को भंग करने का फैसला लिया है तो क्या छत्तीसगढ़ सरकार इस तरह फैसले लिए जा सकते है..देखिए रिपोर्ट

गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश निगम-मंडलों मे अधिकारियों की भर्राशाही और लापरवाही के कारण घाटे की चपेट में आ गई हैं…इनका घाटा इतना बढ़ गया है कि सरकार इन्हें बंद करने की तैयारी कर रही है… तो क्या छत्तीसगढ़ सरकार भी इस तरह के फैसले ले सकती है…

छत्तीसगढ़ मे निगम मंडल को भंग करने वाले सवाल पर बीजेपी नेताओं ने कहा कि हमारे यहां सामूहिक निर्णय लेते हैं ,वरिष्ठ लोग निर्णय लेते हैं जो पार्टी में संभाल रहे हैं , वह निर्णय लेंगे और अच्छे निर्णय लेंगे ,वही शिव रतन शर्मा ने कहां की पार्टी के संगठन के प्रमुख, मुख्यमंत्री इस पर बैठकर तय करेंगे…

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गौरतलब हैं कि निगम-मंडलों में नियुक्ति के बाद वेतन, भत्ते, वाहन आदि की सुविधा देने में ही स्थापना व्यय बढ़ जाता है…जानकारी के मुताबिक सभी निगम-मंडलों का स्थापना खर्च 200 करोड़ है… इसके बाद यदि सरकार बजट उपलब्ध नहीं कराएगी तो कोई भी नया काम शुरू करने में कठिनाई जाएगी ,

जो काम वर्तमान में जारी हैं, उन पर ही नई टीम को काम करना होगा, जिससे भविष्य में उपयोगिता के आधार पर सरकार राशि उपलब्ध कराए….निगम-मंडलों को अपने स्तर पर राजस्व बढ़ाने पर जोर देना होगा… खनिज, पाठ्य पुस्तक निगम, वन विकास निगम, ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन, पर्यटन मंडल, हस्तशिल्प विकास बोर्ड आदि ऐसे निगम-मंडल हैं,

जो अपने स्तर पर भी राजस्व जुटाते हैं…यहां के नई टीम ऐसे प्रोजेक्ट्स लाती है तो सरकार भी आगे बढ़कर मदद करेगी… हालांकि शासन में कुछ निगम-मंडलों को छोड़कर बाकी सभी सरकार का खर्च बढ़ाने वाले ही साबित हुए हैं…ऐसी स्थिति में वर्तमान में मुश्किलें आ सकती हैं…तो क्या राज्य सरकार मध्यप्रदेश सरकार की तरह फैसला लेगी…

इसको लेकर पूर्व मंत्री शिव डहरिया का कहना है कि निगम मंडल बने हैं वह प्रदेश के जनता के हित के लिए बने हैं ,बहुत सारे निगम मंडल इसलिए बनाए जाते हैं उन्हें सरकार के कामों में सहयोग मिलता है ,

अब प्रजातांत्रिक व्यवस्था है प्रजातंत्र में संविधान में भी लिखा है अब बीजेपी किस तरह की प्रक्रिया अपना कर किस तरह की काम करना चाहती है,,, मैं नहीं समझता कि इस तरह का काम होना चाहिए, अगर वह कर रहे हैं तो प्रजातंत्र पर उनका विश्वास नहीं है….

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बताया जा रहा है कि पाठयपुस्तक निगम, RDA, CSID, खनिज विकास निगम, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, वित्त निगम, पर्यटन मंडल, राज्य सूचना आयोग, बरवेज कारपोरेशन, महिला आयोग की घोषणा पहले की जाएगी….. बीजेपी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है

निगम मंडल और आयोग में विधायकों, पूर्व सांसदों  और पूर्व विधायकों को जगह नहीं मिलेगी….
….बताया यह भी जा रहा है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कर्मठता के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा…. इसके बावजूद बीजेपी के बहुत से विधायक और वरिष्ठ नेता जुगाड़ में लगे हुए हैं…. खबर है कि कई नेता तो दिल्ली तक का चक्कर लगा रहे हैं…..

हालांकि बीजेपी का कोई भी नेता इस बारे में खुलकर नहीं बोल रहा है. …लेकिन यह तय है कि पार्टी के लिए समर्पित वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को पहला मौका मिलेगा. …

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