Chhath Puja 2025 : डेस्क न्यूज। छठ महापर्व 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ हो चुकी है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाए जाने वाले इस चार दिवसीय पर्व का हर एक रस्म-रिवाज और उपयोग की जाने वाली वस्तु का विशेष महत्व है। इनमें सुपा एक ऐसी वस्तु है, जिसके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन सवाल यह है कि बांस का सुपा शुभ है या पीतल का? तो आइए, जानते हैं दोनों के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को।
Chhath Puja 2025 : बांस का सुपा, शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक-
हिंदू धर्म में बांस के सुपे को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसे प्राकृतिक, शुद्ध और सात्विक होने के कारण पूजा-पाठ और विवाह जैसे पवित्र कार्यों में उपयोग किया जाता है। छठ पूजा में बांस के सुपे का उपयोग सबसे ज्यादा प्रचलित है। मान्यता है कि बांस की तरह जो तेजी से बढ़ता है, वैसे ही घर की खुशहाली, संतान की दीर्घायु और तरक्की में वृद्धि होती है। इस सुपे में प्रसाद, फल और अन्य पूजन सामग्री रखकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। बांस का सुपा पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ परंपराओं का भी प्रतीक है, जिसे अधिकांश छठ व्रती पसंद करते हैं।
Chhath Puja 2025 : पीतल का सुपा, धन-वैभव और सूर्य का प्रतीक-
आधुनिक समय में कई लोग छठ पूजा में पीतल के सुपे का उपयोग करने लगे हैं। धार्मिक मान्यताओं में पीतल को सूर्य का धातु माना जाता है, जो धन, वैभव और माता लक्ष्मी का प्रतीक है। पूजा-पाठ में पीतल के बर्तनों का उपयोग हमेशा से शुभ रहा है। इसलिए, छठ पूजा में पीतल के सुपे से अर्घ्य देना भी उतना ही शुभ माना जाता है, जितना बांस के सुपे से। विशेषज्ञों के अनुसार, पीतल का सुपा उपयोग करने में कोई धार्मिक दोष नहीं है, और यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो आधुनिकता के साथ परंपरा को जोड़ना चाहते हैं।
Chhath Puja 2025 : कौन सा सुपा चुनें?
पंडित रामाकांत मिश्रा के अनुसार, छठ पूजा में सुपा का चयन व्यक्तिगत श्रद्धा और सुविधा पर निर्भर करता है। बांस का सुपा परंपरागत और पर्यावरण के अनुकूल है, जबकि पीतल का सुपा टिकाऊ और सूर्य से जुड़ा होने के कारण शुभ है। दोनों ही सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए उपयुक्त हैं। इसलिए, व्रती अपनी श्रद्धा और सुविधा के अनुसार बांस या पीतल का सुपा चुन सकते हैं।






