
धोखेबाज़ आँखें : ठीक 18 वें साल चली जाती है आँखों की रौशनी
मनेन्द्रगढ़। धोखेबाज़ आँखें: लोग कहते हैं कि कही -सुनी पर नहीं अपनी आँखों पर भरोसा करो …….. मगर यदि वही आँखें ही धोखा दे दें, तो फिर कोई इन आँखों को धोखेबाज़ नहीं तो और क्या कहेगा ?
आज हम आपको छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ जिले के स्कूलपारा गाँव में उस परिवार से मिलवाएंगे, जिनके परिवार के युवकों और युवतियों की आँखों की रोशनी ही 18 साल की उम्र में काम होने लगती हैं
और फिर उसकी आँखों की रोशनी चली जाती है। आख़िर क्या है ये पूरा मामला और क्या है इस पर ताज़ा अपडेट जरूर जानें –
धोखेबाज़ आँखें : आखिर कैसे बन गईं जरूर जानें
दरअसल मनेंद्रगढ़ विकास खंड के ग्राम पंचायत केराबहरा स्कूल पारा में रहने वाले एक हरिजन समाज के लोग अजीबोगरीब अपने पुश्तैनी बीमारी से परेशान हैं . परिवार के बच्चे जैसे ही 18 वर्ष के पड़ाव पर पहुंचते हैं
तो उनके सिर के पीछे वाले हिस्से में दर्द शुरू हो जाता है. और धीरे-धीरे उनकी आंखों की रौशनी चली जाती है और पूरी तरह से अंधे हो जाते हैं । इस खानदानी बीमारी से अब तक पांच लोगों ने अपनी दोनों आंखे खो दी है, जिनको कुछ
भी दिखाई नहीं देता है । वही सात युवक-युवती ऐसे हैं जिनको यह बीमारी शुरू हो चुकी है. अगर समय रहते इनका इलाज नहीं हुआ तो इनकी भी दोनों आंखे पूरी तरह खराब हो सकती हैं । इन ग्रामीणों की मांग है कि छत्तीसगढ़ सरकार

इनके इलाज की विशेष व्यवस्था करे ताकि इनके आंखों की रोशनी बची रहे । ग्रामीणों ने बताया कि पूर्वर्ती सरकार ने लगभग चार साल पहले उन सभी की जांच कराई गई थी.
Uttarakhand News : आज से चारधाम के कपाट होंगे बंद
उस दौरान नौ लोगो का इलाज हुआ था. जो अभी तक सही हैं , इनके परिवार में लगभग 30 से 40 लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं।
क्या है मामले में ताज़ा अपडेट
इस मामले में ताज़ा अपडेट ये है कि मनेन्द्रगढ़ से नेत्र रोग विशेषज्ञों की एक टीम केराबहरा गांव पहुंची और बीस ग्रामीणों के आंखों की जांच की गई.
कुछ ग्रामीण मजदूरी करने गए थे, जिनकी जांच नहीं हो पाई। जांच टीम में गये नेत्र सहायक आर.डी. दीवान ने लोगों की जांच शुरू की।
Discover more from ASIAN NEWS BHARAT - Voice of People
Subscribe to get the latest posts sent to your email.