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CG News : कोंडागांव। बस्तर जिले की प्रसिद्ध जनजातीय महिला कलाकार और समाजसेवी डॉ. जयमति कश्यप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 मई 2025 को भोपाल में आयोजित ‘लोकमाता देवी अहिल्याबाई महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन’ में राष्ट्रीय देवी अहिल्याबाई सम्मान 2024 से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें गोंडी भाषा के संरक्षण, जनजातीय कला के प्रचार-प्रसार और मानव तस्करी से महिलाओं को बचाने के उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। डॉ. कश्यप ने स्वाध्याय के बल पर 10 विषयों में एमए और पीएचडी पूरी की है, जो उनकी असाधारण प्रतिभा और जुनून का प्रतीक है।
CG News : स्वाध्याय से हासिल की 10 एमए और पीएचडी-
डॉ. जयमति कश्यप ने कभी औपचारिक स्कूली शिक्षा नहीं ली, फिर भी उन्होंने इतिहास, राजनीति विज्ञान, हिंदी साहित्य, भूगोल, ग्रामीण विकास, समाजशास्त्र, प्राचीन इतिहास जैसे विषयों में स्वाध्याय के माध्यम से एमए की डिग्री हासिल की। उन्होंने बस्तर के परगनाओं की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक व्यवस्था पर शोध कार्य भी पूरा किया। उनकी गोंडी भाषा में लिखी पुस्तिका ‘नना मुया’ का प्रकाशन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत (नई दिल्ली) द्वारा किया गया है, जो कोंडागांव जिले के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शासकीय तौर पर पाठ्य सामग्री के रूप में वितरित की गई है।
CG News : सामाजिक कार्य और सम्मान-
वर्तमान में डॉ. जयमति कश्यप बस्तर जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत हैं। 2019 में उन्हें रायपुर की संस्थाओं ‘रोटरी क्लब ऑफ रायपुर ग्रेटर’ और ‘क्रिएटिव आई प्रमोशन्स’ द्वारा मणिकर्णिका सम्मान से नवाजा गया था। इसके अलावा, महिला एवं बाल विकास विभाग ने उन्हें किशोरी-बालिका सम्मान से सम्मानित किया है। डॉ. कश्यप ने जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (नई दिल्ली) सहित विभिन्न संस्थानों द्वारा आयोजित कार्यशालाओं और संगोष्ठियों में सक्रिय भागीदारी की है। पिछले वर्ष साहित्य अकादमी के लाइव टेलीकास्ट सेमिनार में भी उन्होंने हिस्सा लिया था।
CG News : छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण-
इस सम्मान पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और अन्य नेताओं ने डॉ. कश्यप को बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने इसे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण बताया, जबकि उपमुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. कश्यप की उपलब्धियां बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रतीक हैं। डॉ. जयमति कश्यप की यह उपलब्धि न केवल बस्तर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरणा स्रोत है।
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