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CG News: रायपुर। खनिज संपदा, कृषि उत्पादकता और औद्योगिक संभावनाओं से भरपूर छत्तीसगढ़ अब देश के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में शामिल होने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकासपरक नीतियों के चलते राज्य में रेल परियोजनाओं ने रफ्तार पकड़ ली है। वर्षों से ठप पड़ी योजनाओं को पुनर्जीवित कर नए विस्तार के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।
तीन रेलवे ज़ोन, लेकिन सीमित पहुंच
छत्तीसगढ़ का रेल नेटवर्क तीन प्रमुख जोनों- दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR), दक्षिण पूर्व रेलवे (SER) और पूर्व तट रेलवे में विभाजित है। बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा और बस्तर जैसे क्षेत्र इससे जुड़ते हैं, लेकिन अब भी कई आदिवासी, पहाड़ी और पिछड़े इलाकों तक रेल की सीधी पहुंच नहीं है। मुख्यमंत्री साय ने इस खाई को पाटने की दिशा में रेलवे को इंफ्रास्ट्रक्चर नीति में शीर्ष प्राथमिकता दी है।
विकास की दिशा में बड़ी परियोजनाएं
राज्य में रेलवे के जरिए समावेशी विकास, औद्योगिक लॉजिस्टिक में सुधार, पर्यटन को बढ़ावा और रोजगार सृजन के उद्देश्य से कई अहम प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली है:
- खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा रेल प्रोजेक्ट: 8741 करोड़ की लागत से बनने वाली यह परियोजना राज्य को एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़ देगी।
- बिलासपुर-अंबिकापुर तीसरी रेल लाइन: 235 किमी लंबी लाइन 2027 तक तैयार होगी, जिससे कोयला परिवहन और मालभाड़ा क्षमता में वृद्धि होगी।
- जगदलपुर-रायपुर रेलवे कॉरिडोर: पर्यटन, रक्षा और औद्योगिक विकास में होगा अहम योगदान।
- खड़गांव-बैलाडीला खनिज कॉरिडोर: NMDC और रेलवे के संयुक्त उपक्रम से बन रही यह लाइन लौह अयस्क परिवहन को गति देगी।
रायपुर रेलवे स्टेशन बनेगा अत्याधुनिक हब
रायपुर रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण PPP मॉडल के तहत ₹450 करोड़ की लागत से हो रहा है। इसमें मल्टीलेवल पार्किंग, शॉपिंग ज़ोन और एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। यह राज्य का पहला स्टेशन होगा जो विश्वस्तरीय यात्री अनुभव देगा।
बस्तर में पहली बार चलेगी मालगाड़ी
नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी को मुख्यमंत्री ने “विकास की रेखा” बताया है। दल्लीराजहरा-रावघाट लाइन पूरी होने के बाद रावघाट-जगदलपुर, जगदलपुर-दंतेवाड़ा-बीजापुर जैसी परियोजनाएं चल रही हैं, जिससे न केवल सुरक्षा बलों की आवाजाही आसान होगी, बल्कि आदिवासियों को बाजारों से सीधा जोड़ मिलेगा।
रेलवे नेटवर्क से मिलेगा बहुआयामी लाभ
- 21 नए स्टेशन, 48 बड़े पुल, 184 अंडरपास, 14 फ्लाईओवर का निर्माण
- 615 किमी लंबी पटरी, जिससे 8 से अधिक नई मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू होंगी
- 22 करोड़ लीटर डीजल की बचत, जिससे 2500 करोड़ की लागत में कटौती
- 2 करोड़ मानव दिवस का रोजगार सृजन
उद्योग, पर्यटन और विरासत को मिलेगा बढ़ावा
सीमेंट उद्योगों के लिए बलौदा बाजार, जांजगीर और खरसिया जैसे हब रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे। राज्य के कोसा सिल्क उत्पादन क्षेत्रों को भी रेल से जोड़ा जाएगा, जिससे पारंपरिक हस्तशिल्प को बाजार मिलेगा और स्थानीय लोगों को नए अवसर प्राप्त होंगे।
केंद्र और राज्य की साझा पहल
राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण को गति दी है और 50:50 लागत मॉडल पर केंद्र के साथ मिलकर काम कर रही है। स्थानीय ठेकेदारों और श्रमिकों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे रोज़गार भी सृजित हो रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा-“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के सहयोग से छत्तीसगढ़ में रेलवे का अभूतपूर्व विकास हो रहा है। यह नेटवर्क राज्य को उद्योग, पर्यटन और रोजगार के नए मुकाम तक पहुंचाएगा।”
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