
Black Day 2025 : शहीद की शहादत इतनी सस्ती क्यों?.........
Black Day 2025 : 14 Feb यूं तो वेलेंटाइन डे दुनिया बना रही है लेकिन : भारत देश में 14 feb को ब्लैक डे कहा गया क्योंकि इस दिन कश्मीर के पुलवामा में एक भयानक IED ब्लास्ट हुआ था जिसमें देश के 40 जवान शहीद हुए थे, उन्हीं में से एक अश्वनी कुमार काछी थे ,जिनके गांव और शहीद स्मारक में हम आज मौजूद है , ताज़ा हालात बता रहे है कि सरकार के तमाम वादे और घोषणाओं का क्या हाल हुआ??
क्या कुछ पूरा क्या कुछ नहीं हुआ ??
Black Day 2025 : शहीद अश्वनी काछी की मां से और उनके भाई से हमने बात की तो पता चलता है किस तरह सरकार में बैठे मंत्री और जिला प्रशासन अश्वनी काछी को पूर्ण रूप से भूल चुका है।शहीद अश्वनी काछी के नाम पर बनने वाला न तो कॉलेज मिला न ही स्कूल और न ही ग्राउंड, यहां तक कि स्मारक और शहीद की प्रतिमा तक घरवालों ने अपने पैसे खर्च कर बनाई है।
अश्विनी चार साल पहले 2014-15 में सीआरपीएफ की 35वीं बटालियन में भर्ती हुए थे। ट्रेनिंग के बाद शहीद अश्विनी की पहली पोस्टिंग 2017 में श्रीनगर में हुई थी। परिवार में सबसे छोटे अश्विनी को बचपन से ही सेना में जाने का जुनून था। अश्विनी चार भाइयों में सबसे छोटे थे।
शहीद को भूल गई सरकार
पुलवामा हमले में शहीद अश्विनी काछी के परिवार को सरकारी घोषणाएं पूरी होने की आस अब तक अधूरी है। शहीद के आखिरी विदाई में तत्कालीन सीएम कमलनाथ से लेकर वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे थे। बड़े भाई सुमंत काछी के मुताबिक तब घोषणा हुई थी
कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिलेगी। गांव को शहीद गांव का दर्जा मिलेगा। शहर में एक आवास मिलेगा। खुड़ावल में अश्विनी के नाम पर स्टेडियम बनेगा। मूर्ति और अशोक स्तंभ का निर्माण तो परिवार ने अपने खर्चे से करा लिया, लेकिन अन्य घोषणाओं की सुध लेना जिम्मेदार भूल चुके हैं।
अश्विनी की याद में हर साल होता है भंडारा अश्विनी काछी की याद में परिवार के लोग और रिश्तेदार मिलकर हर साल भंडारे का आयोजन करवाते है,इस भंडारे में परिवार के लोगों से हमने बात की शहीदों का गांव है खुडावाल
3 हजार की आबादी वाले इस छोटे से खुड़ावल गांव में अब 100 से ज्यादा जवान सेना में अपनी सेवाए दे चुके हैं। वर्तमान में करीब 30 जवान देश की सीमा पर तैनात हैं। यहां आने वाले हर 10वें घर में एक जवान पैदा होता है, जो देश के लिए मर-मिटने को तैयार है।
जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए अश्विनी इस गांव के तीसरे वीर सपूत हैं। इससे पहले 2016 में गांव के रामेश्वर लाल जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हुए थे। जबकि 2006 में राजेन्द्र प्रसाद बालाघाट में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान वीर गति को प्राप्त हुए थे। इस गांव के युवकों का पहला सपना फोर्स में भर्ती होने का रहता है।
लेकिन यदि मोहन सरकार की मदद से कुछ अच्छा ग्राउंड कॉलेज और स्कूल मिलता है तो यह राष्ट्रभक्ति की अविरल धारा निरंतर बढ़ती रहेगी और क्षेत्र के विकास में मजबूती प्रदान करने का काम करेगी,क्या सूबे के मुखिया डॉ मोहन यादव इस शहीद अश्वनी काछी के शहीद गांव ख़ुड़ावल पर ध्यान देंगे??