
बसंत पंचमी अमृत स्नान : पवित्र डुबकी से मिलते हैं 5 दिव्य लाभ...
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बसंत पंचमी अमृत स्नान : पवित्र डुबकी से मिलते हैं 5 दिव्य लाभ...
बसंत पंचमी : माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जो ज्ञान, विद्या और देवी सरस्वती की उपासना का विशेष दिन होता है। इस पावन अवसर पर महाकुंभ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान संपन्न हो रहा है। संगम तट पर अखाड़ों के संत-महात्मा और लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़ पड़े हैं।
इस अमृत स्नान का विशेष महत्व है, जिसे करने से मोक्ष प्राप्ति, पुण्य लाभ और सात पीढ़ियों तक की शुद्धि संभव होती है। माना जाता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
मोक्ष प्राप्ति
महाकुंभ में बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं।
सात पीढ़ियों की शुद्धि
इस दिव्य स्नान का प्रभाव न केवल व्यक्ति पर बल्कि उसकी सात पीढ़ियों पर भी पड़ता है, जिससे उनके समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं।
शारीरिक और मानसिक शुद्धि
संगम स्नान से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि
बसंत पंचमी को देवी सरस्वती का दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन स्नान और पूजा करने से बुद्धि, विद्या और ज्ञान में वृद्धि होती है।
बसंत पंचमी के अमृत स्नान का विशेष महत्व है। महानिर्वाणी अखाड़े के संतों ने इस शुभ अवसर पर सबसे पहले स्नान किया, जिसके बाद अन्य अखाड़ों के साधु-संत और श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। यह स्नान प्रातः 4 बजे से प्रारंभ होकर पूरे दिन चलता रहेगा।
अब तक करीब 1.65 करोड़ श्रद्धालु इस पावन अवसर पर स्नान कर चुके हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन संगम में स्नान करने से 100 यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है और व्यक्ति के समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं।
बसंत पंचमी का अमृत स्नान एक पावन परंपरा है, जिसे करने से अनंत पुण्य लाभ और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है। इस दिन संगम में डुबकी लगाने से जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अतः बसंत पंचमी पर स्नान, दान और पूजा अवश्य करें और इस दिव्य अवसर का लाभ उठाएं।
हर हर गंगे! जय मां सरस्वती
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