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America : वॉशिंगटन/पेरिस : अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक और शैक्षिक संस्था UNESCO से अलग होने का बड़ा फैसला लिया है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने UNESCO की कार्यप्रणाली को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ और इजराइल के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैये का हवाला देते हुए यह कदम उठाया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की।
इजराइल के खिलाफ पक्षपात का आरोप अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “संयुक्त राज्य अमेरिका ने UNESCO से बाहर होने का निर्णय लिया है। हमारा मानना है कि यह संस्था निष्पक्षता के रास्ते से भटक गई है।” राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से UNESCO पर इजराइल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अधिकारों को नजरअंदाज करने और एकतरफा रवैया अपनाने का आरोप लगाते रहे हैं। उनका दावा है कि UNESCO इजराइल के खिलाफ प्रचार का केंद्र बन गया है। यह फैसला दिसंबर 2026 से प्रभावी होगा।
फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता पर आपत्ति अमेरिका ने UNESCO द्वारा फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने के फैसले पर भी कड़ी नाराजगी जताई है। टैमी ब्रूस ने कहा कि यह कदम न केवल अमेरिकी विदेश नीति के खिलाफ है, बल्कि इससे संस्था में इजराइल-विरोधी रुझानों को और बढ़ावा मिला है। उन्होंने इस निर्णय को गंभीर और समस्याग्रस्त करार दिया।
तीसरी बार UNESCO से अलग हुआ अमेरिका यह तीसरा मौका है जब अमेरिका ने UNESCO से अलग होने का फैसला किया है। इससे पहले ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2018 में अमेरिका ने UNESCO छोड़ा था। बाद में 2023 में जो बाइडेन प्रशासन ने फिर से UNESCO की सदस्यता ग्रहण की थी। अब ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर यह कदम उठाया है।
फ्रांस की प्रतिक्रिया फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अमेरिका के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि फ्रांस UNESCO को विज्ञान, शिक्षा, संस्कृति, और विश्व धरोहरों के संरक्षण में वैश्विक नेतृत्वकर्ता मानता है और इसका पूर्ण समर्थन जारी रखेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिका का यह कदम न तो UNESCO के मिशन को कमजोर करेगा और न ही इससे जुड़े लोगों की प्रतिबद्धता को प्रभावित करेगा।