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कांकेर जिले का कोइलीबेड़ा ब्लॉक जो कभी नक्सल प्रभाव के नाम से जाना जाता था आज उस जगह पर तमाम विकास के दावे किए जाते है दरअसल हम बात कर रहे है महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं की जो अंदरूनी क्षेत्रों में चलाए जाते है उसी में से एक हम बात कर रहे है ।
आंगनबाड़ी केंद्रों में चलाए जा रहे नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के दिए जाने वाले पोषक आहारों की जो तस्वीरों में साफ देखी जा सकती है कि किस तरीके से कहीं एक्सपायरी डेट मसालों को तो कही एक्सपायरी डेट रेडी टू ईट नौनिहालों को और गर्भवती महिलाओं को परोसा जा रहा है ..!बता दे कोइलीबेड़ा ब्लॉक में दो परियोजना कार्यालय संचालित है ।
एक कोइलीबेडा में दूसरा पखांजुर दोनों कार्यालयों का प्रभार एक ही परियोजना अधिकारी को दायित्व दिया गया है विकास के ढोल की आवाज तो काफी है पर जमीनी सच्चाई में अव्यवस्थाओं का सन्नाटा देखने को मिला वहीं मामले की पड़ताल पर जब एशियन न्यूज की टीम आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहुंची तो तस्वीरों में साफ देखने को मिला कही जाले लगे चावल तो कही एक्सपायरी डेट रेडी टू इट जैसे गुणवत्ता विहीन आहार बच्चों को और गर्भवती महिलाओं को दिया जा रहा है और आहार के दिए जाने में मेनू का ही पालन नहीं किया जा रहा वही कई आंगनबाडियों में गैस न होने से सहायिका चूल्हे में खाना बनाती दिखी वही मामले की जानकारी लेने जब परियोजना अधिकारी सीमा सिंह के दफ्तर में एशियन न्यूज की टीम पहुंची तो अधिकारी ने इस विषय पर जानकारी देने से बचते दिखाई दी कहा कि “मै अधिकृत नहीं हु ” अंदरूनी इलाको की इस तरीके की तस्वीर तमाम विकास के दावों ठेंगा दिखाते हुए दिखती है ..!वहीं जिम्मेदार अफसर का ऐसा रवैया अधिकारी की कार्यशैली पर भी एक सवालिया निशान जरूर छोड़ कर जाता है
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