
Jahan E Khusrau 2025: पीएम मोदी ने सूफी संगीत महोत्सव में की शिरकत, बोले- 'ये खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी की है'...
Jahan E Khusrau 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी 2025 को दिल्ली के सुंदर नर्सरी में आयोजित सूफी संगीत महोत्सव जहान-ए-खुसरो 2025 में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने सूफी परंपरा की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि “जहान-ए-खुसरो के इस आयोजन में एक अलग खुशबू है, ये खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी की है।”
भारत की तहजीब और सूफी परंपरा
पीएम मोदी ने कहा, “हजरत अमीर खुसरो ने भारत की तुलना जन्नत से की थी। हमारा हिंदुस्तान तहजीब और संस्कृति का वो बागीचा है, जहां हर रंग फला-फूला है। यहां की मिट्टी की खासियत ही कुछ ऐसी है कि जब सूफी परंपरा भारत आई, तो उसे भी लगा कि जैसे वह अपनी ही जमीन से जुड़ गई हो।”
पीएम मोदी ने रमजान की दी मुबारकबाद
इस अवसर पर पीएम मोदी ने रमजान की बधाई देते हुए कहा, “रमजान का मुबारक महीना भी शुरू होने वाला है। मैं आप सभी को और सभी देशवासियों को रमजान की मुबारकबाद देता हूं। ऐसे मौके देश की कला और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, साथ ही ये हमें सुकून भी देते हैं।”
सूफी संतों की अनूठी परंपरा
पीएम मोदी ने सूफी परंपरा की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, “भारत में सूफी परंपरा ने अपनी अलग पहचान बनाई है। सूफी संतों ने खुद को केवल मस्जिदों और खानकाहों तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने कुरान के हर्फ पढ़े, तो वेदों के शब्द भी सुने। उन्होंने अज़ान की सदा में भक्ति गीतों की मिठास जोड़ी। किसी भी देश की सभ्यता और तहजीब को स्वर उसके गीत-संगीत से मिलता है।”
संस्कृत को बताया बेहतरीन भाषा
पीएम मोदी ने अमीर खुसरो के भारत प्रेम का जिक्र करते हुए कहा, “हजरत खुसरो ने भारत को उस दौर के सभी बड़े देशों से महान बताया था। उन्होंने संस्कृत को दुनिया की सबसे बेहतरीन भाषा बताया। वे भारतीय मनीषियों को बड़े-बड़े विद्वानों से भी महान मानते थे।”
25 साल पूरे कर चुका है जहान-ए-खुसरो महोत्सव
यह सूफी संगीत महोत्सव जहान-ए-खुसरो इस साल अपने 25 वर्ष पूरे कर चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “इन 25 वर्षों में इस आयोजन ने लोगों के जहन में अपनी खास जगह बना ली है, जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।”
तह बाजार का भी किया दौरा
पीएम मोदी ने बताया कि समारोह में शामिल होने से पहले उन्होंने तह बाजार का दौरा किया, जहां उन्हें भारत की कला और संस्कृति की झलक देखने को मिली। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव सिर्फ संगीत का नहीं, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का उत्सव भी है।
जहान-ए-खुसरो 2025 भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसे नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो रहा है।
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